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फुलवा नहीं रही ..

वो हर रोज आता कभी सड़क पर मेरे आँचल को खींचता कभी सरेआम दुपट्टे को ले भागता मैं रहती डरी सहमी अपने आप में घुट्टी सोचती क्या बोलूं किस्से बोलूं कोन सुने ये हाल मेरा चुप रही आगे बढती रही मानो जीवन एक चोराहे पर आ बट गयी हो पर जब देखती माँ बाबु को […]
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