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पंद्रह अगस्त की पुकार

पंद्रह अगस्त का दिन कहता आज़ादी अभी अधूरी है। सपने सच होने बाकी है, रावी की शपथ न पूरी है।। जिनकी लाशों पर पग धर कर आज़ादी भारत में आई। वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई।। कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आँधी-पानी सहते हैं। उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के बारे में […]
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