नंबर 473

जिंदगी में कुछ चीजे ऐसे ही होती हैं जो बहूत कुछ सिखा जाती हैं ..ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ. सुबह सुबह मैं बस स्टैंड चला गया सोचा आज सफ़र बस से कर लूँ ..तभी अचानक बिलकुल नयी चमकती हरी बस मानो लग रह था जैसे सड़क पर नरम हरी घास की सेज बिछी हुई हो […]
Read More →लड़की ही तो थी ?

परसों की बात है मेरे गोद में चहक रही थी बार बार मेरे गालों को चूम रही थी जता रही थी वो अपना प्यार कभी मेरे चश्मे को नन्ही उंगलियों से पकडती कभी चाभी के गुच्छे को मुह में दबाती कभी गुब्बारे के इन्तेजार में घंटो धुप में खड़ी रहती अचानक सब ख़तम होगया मैं […]
Read More →फुलवा नहीं रही ..

वो हर रोज आता कभी सड़क पर मेरे आँचल को खींचता कभी सरेआम दुपट्टे को ले भागता मैं रहती डरी सहमी अपने आप में घुट्टी सोचती क्या बोलूं किस्से बोलूं कोन सुने ये हाल मेरा चुप रही आगे बढती रही मानो जीवन एक चोराहे पर आ बट गयी हो पर जब देखती माँ बाबु को […]
Read More →मंटो के लिए ..

मंटो …एक कश्मीरी, एक पाकिस्तानी या सिर्फ एक कलम, जिसने अपने समय से आगे जाकर वो लिख डाला जो आने वाली सदी के लिए बीते हुए पल का मात्र एक दस्तावेज ही नहीं सब कुछ हो ..”मंटो ” का मतलब होता क्या है ? इसका जिक्र मंटो ने अपने ही शब्दों में बड़ा खूब लिखा है। मंटो कहते हैं […]
Read More →Rural violence in Bihar

This massacre is not related to the agrarian struggle per se. It was an outcome of the struggle for hegemony over sand quarry in the Ganges and Sone riverbeds. In this incident the struggle for supremacy between two contenders for sand quarry?both from the same upper backward caste and supporters of political party currently […]
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